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लेखनी कहानी -27-Mar-2022 क्षणभंगुर जीवन

क्षणभंगुर जीवन 


आजकल प्रतिलिपि जी को न जाने क्या हो गया है ? बड़ी बहकी बहकी सी नजर आ रही हैं इन दिनों । कोई जमाना था जब बड़ी रोमांटिक हुआ करती थीं किसी नव यौवना की तरह , जिसे उछलकूद पसंद है, प्रेम के रंग अपनी आंखों में बसाये साजन का इंतजार करते हुये किसी झरने के नीचे बैठकर प्रेमगीत गुनगुनाते हुए , जुल्फें लहराते हुए मटकते मटकते चला करती थी । हम जैसे लेखकों का कत्ल करके आंखों के इशारे से कुछ कह जाया करती थी । होठों को दबाकर दिल के भाव बयां कर जाया करती थी और हम जैसे लोग रात रात भर जाग जागकर प्रेम ग्रंथ रचते रहते थे । 
मगर चार पांच दिनों से प्रतिलिपि जी को वैराग्य ने घेर लिया है शायद । उन्हें समझ में आ गया है कि यह शरीर "नश्वर" है और अपना यह जीवन भी कोई शाश्वत नहीं है बल्कि "क्षणभंगुर"  है । जबसे उन्हें यह हकीकत पता चली तब से ही उन्होंने अपने लबों पर "खामोशी" ओढ़ ली । बेचारी लिपिस्टिक सोच रही है कि अब मेरा क्या काम ? अब हम जैसे लोग प्रतिलिपि जी की "बीती बातों" से ही काम चला रहे हैं । 

मगर सौ टके का प्रश्न ये है कि आखिर प्रतिलिपि जी को वैराग्य हुआ कैसे ? कहीं राजकुमार सिद्धार्थ की तरह प्रतिलिपि जी भी कहीं अपने महल से निकल कर शहर या गांव तो नहीं चली गईं ? और इसी बीच उन्होंने एक वृद्ध, कोढ़ी, मृत व्यक्ति तो नहीं देख लिया ? शायद ऐसा हो , तभी तो ऐसे ऐसे विषय चुन चुन कर ला रही हैं । 

बस, इसी पर बहस चल निकली । अनन्या जी कहने लगी "ऐसा लगता है कि प्रतिलिपि जी की शादी हो गई है और उन्हें ससुराल बड़ी खड़ूस मिली है । इसीलिए उन्हें वैराग्य सा हो गया है" । 

हेमलता आई को तो "पंचायती" करने का बड़ा शौक है । जहाँ कहीं बहस चल रही हो और वहां हेमलता मैम नहीं हो , ऐसा हो ही नहीं सकता है । पता नहीं उन्हें बहसबाजी की सुगंध कहाँ से मिल जाती है और वे ऐसे तर्क वाले मामलों में स्वयंभू पंच बन जाती हैं । तो एक पंच की कुर्सी तो रिजर्व हो ही  गई । 

हेमलता जी बोलने लगीं । चूंकि वे पक्की "नारीवादी " हैं इसलिए नारी के खिलाफ कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होती हैं । अनन्या जी की बात का खंडन करना जरुरी था क्योंकि उसमें ससुराल पर आक्षेप लगाया गया था । ससुराल में तो सास, बहू, ननद वगैरह स्त्री भी तो शामिल हैं । स्त्रियों के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकती हैं वे । इसलिए तपाक से बोलीं "ससुराल में पति की प्रताड़ना के कारण सारी बीमारियां होती हैं । प्रतिलिपि को अच्छा पति नहीं मिला होगा इसलिए वह टूटकर खामोश हो गई और अंततः क्षणभंगुर जीवन के अंत की प्रार्थना कर रही है " । 

इतने में शीला मैम भी आ गई । मजमा लगा देखकर उन्होंने अपना कयास भी लगा दिया " शायद आजकल प्रतिलिपि जी ने कुछ लिखना पढना आरंम्भ कर दिया है इसलिए ऐसे ऐसे भारी भरकम विषय ला रही हैं जिनसे लोगों को यह लगे कि प्रतिलिपि जी बहुत धीर गंभीर और परिपक्व महिला हैं । जीवन की सच्चाई को बड़ी नजदीक से देखती हैं रोज । इसलिए ही ऐसे विषय दिये जा रहे हैं  । 

जया नागर जी ने कहा " मुझे तो लगता है कि कुछ झोल है । क्या पता प्रतिलिपि जी को भी किसी से प्यार हो गया हो ? और प्यार में उन्हें धोखा मिला हो ? तभी वे ऐसा बर्ताव कर रही हैं " । 

अदिति टंडन जी की थ्यौरी तो कुछ और ही है । उनका मानना है कि गजल ही जिंदगी है । गजल है तो रोमांस है और रोमांस है तो दिल धड़कता है । जब दिल धड़कता है तो कुछ कुछ होता है । और जब कुछ कुछ होता है तो रातों की नींद उड़ जाती है । फिर आदमी बहकी बहकी सी बातें करने लगता है । प्रतिलिपि जी ने शायद गजलों का खजाना पढ लिया है ।

रितु गोयल जी के तो फंडे ही अलग हैं । वे तो हास्य व्यंग्य के समंदर की बड़ी मछली हैं । अब यदि जीवन चाहे जैसा हो, उसमें हास्य का तड़का नहीं लगे तो वह जीवन बिना तड़के वाली दाल के जैसा होता है । अब हर कोई तो रितु मैम जैसा हास्य व्यंग्यकार नहीं होता है ना जो हर किसी को हंसाने की क्षमता रखता हो ? तो इसीलिए बिना हास्य के तड़के की दाल खाने के कारण ऐसा व्यवहार कर रही हैं प्रतिलिपि जी । 

जितने मुंह उतनी बातें । कोई क्या कह रहा था तो कोई क्या सुन रहा था । फिर सबने प्रतिलिपि जी से पूछ ही लिया "हे सुंदरी , सच सच बताना , कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना । पर अब ना चलेगा यहां पर कोई बहाना "? 

आखिर प्रतिलिपि जी बोल पड़ी । "भाइयो और बहनों । हास्य व्यंग्य रोमांस सब कुछ भरे पड़े हैं जीवन में । मगर जीवन का अंतिम सत्य यही है कि ना कुछ लेकर आया था और ना कुछ लेकर जायेगा । इसलिए जबसे मुझे यह ब्रह्म ज्ञान हुआ है तबसे मैं ऐसे ही विषयों पर सोचने लगी हूं । और मैं चाहती हूं कि ऐसे गूढ़ विषयों पर मेरे श्रेष्ठ लेखकगण अपने विचार प्रकट कर सकते हैं तो करें "। 

मुझे देखकर वो बोली "आप तो रहने ही देना । आपके पल्ले नहीं पड़ेगा यह विषय । आप तो छमिया भाभी के साथ होली खेलो और मस्त रहो" । 

इतने में मेरी आंखें खुल गईं और मैं सोच सोच कर अभी भी मुस्कुरा रहा हूं । 😊😊😊😊 

हरिशंकर गोयल "हरि'
27.3.22 


   8
9 Comments

Fareha Sameen

29-Mar-2022 06:19 PM

Good

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Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Mar-2022 05:29 AM

💐💐🙏🙏

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Haaya meer

27-Mar-2022 02:22 PM

बहुत ही सुंदर

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Mar-2022 04:23 PM

प💐💐🙏🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Mar-2022 05:29 AM

💐💐🙏🙏

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Gunjan Kamal

27-Mar-2022 08:45 AM

बहुत खूब 👌👏🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Mar-2022 09:54 AM

💐💐🙏🙏

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